हजारीबाग, अक्टूबर 16 -- हजारीबाग । साइना नेहवाल और पीवी सिंधु जैसी बैडमिंटन खिलाड़ियों को अपना रोल मॉडल मानकर हजारीबाग संत कोलंबा कॉलेज की लड़कियों ने बैडमिंटन रैकेट हाथों में थामा। लेकिन बैडमिंटन जैसे खेल में कई तरह के संसाधनों की जरूरत महसूस होने लगी। हर साल संत कोलंबा कॉलेज में सैकड़ों छात्र प्रवेश लेते हैं। प्रवेश के समय ही सभी से खेल शुल्क वसूला जाता है। इस मद से जितनी राशि एकत्रित होती है, उसका सदुपयोग खेल संसाधन और अन्य सुविधाओं में नहीं किया जाता है। बहुत से बच्चे कॉलेज जीवन में किसी तरह का खेल नहीं खेलते, वे केवल पढ़ने के लिए कॉलेज में नामांकन करवाते हैं। ज्यादातर विद्यार्थियों की संख्या ऐसी ही होती है, जिन पर किसी तरह का खेल खर्च नहीं होता, फिर भी कॉलेज की बालिका बैडमिंटन खिलाड़ी कई तरह की सुविधाओं से वंचित हैं। बैडमिंटन को खुले...