हजारीबाग, मई 7 -- हजारीबाग। करीब डेढ़ शताब्दी (147 वर्ष) पहले हजारीबाग में चिकित्सक, शिक्षाविद, समाजसेवी अन्नदा प्रसाद डे ने जिस बीज को बोया था, अब वह वटवृक्ष बनकर हजारीबाग को शैक्षणिक छाया प्रदान कर रहा है। वर्ष 1878 में अन्नदा बंग शिशु विद्यालय से शुरू यह सफर अन्नदा महाविद्यालय तक जा पहुंचा है। हजारीबाग शहर का सबसे व्यस्ततम चौराहा अन्नदा चौक है, जो शहरवासियों की ओर से इस संस्थान के संस्थापक के प्रति सम्मान का प्रतीक है। हजारीबाग में शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना और पढ़ाई-लिखाई का माहौल बनाने में बंगालियों और ईसाइयों का विशेष योगदान रहा है। पुस्तकालयों और विद्यालयों के निर्माण में इनके योगदान को देखा और महसूस किया जा सकता है। शिशु विद्यालय बाद में मिडिल स्कूल और फिर हाई स्कूल के रूप में विकसित हुआ। हाई स्कूल के बाद अब इसी ज़मीन पर कॉलेज ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.