हजारीबाग, मई 15 -- हजारीबाग। आज के समाज में परिवार की डोर को थामना और उसे मजबूती से पकड़े रहना एक चुनौतीपूर्ण कार्य बनता जा रहा है। छोटी-छोटी बातों पर रिश्ते बनते और बिगड़ते देर नहीं लगती। हर कोई दूसरों में कमियां ढूंढ़ने में व्यस्त रहता है, और अपेक्षाएं आसमान छूती हैं, जबकि कर्तव्यों के प्रति उतनी गंभीरता दिखाई नहीं देती। ऐसे में परिवारों का टूटना एक आम बात हो गई है। इस आपाधापी और व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के बढ़ते प्रभाव के बीच हजारीबाग में अभी दर्जनों परिवार की संयुक्त परिवार की मान्यता को जिंदा रखे हुए हैं। इनमें से एक शिवदयाल नगर में सुरेश प्रसाद सिंह का परिवार एक अद्भुत मिसाल कायम कर रहा है। उनके घर में सदस्यों की उपस्थिति हर दिन एक उत्सव का माहौल बनाती है, जहां बड़े-बुजुर्गों का ज्ञान और मार्गदर्शन, युवा पीढ़ी की ऊर्जा और बच्चों की...