सीवान, मई 18 -- देश की सेवा में अपने जीवन के सबसे बहुमूल्य वर्ष देने वाले सैनिक जब रिटायर होकर गांव लौटते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि उन्हें न केवल सम्मान मिलेगा, बल्कि सरकारी योजनाओं और सामाजिक सहयोग से एक सुरक्षित और गरिमामय जीवन भी मिलेगा। लेकिन सीवान जिले के अनेक रिटायर आर्मी जवानों की ज़िंदगी इन उम्मीदों से कोसों दूर है। सरकारी उपेक्षा, जटिल कागजी प्रक्रियाएं और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता ने उनके लिए जीना मुश्किल कर दिया है। सीवान जिले के 19 प्रखंडों जैसे - बड़हरिया, हुसैनगंज, दरौंदा और महाराजगंज जैसे इलाकों में सैकड़ों रिटायर्ड सैनिक बसे हुए हैं। इनमें से कई जवानों ने कारगिल युद्ध, सियाचिन पोस्टिंग और नक्सल ऑपरेशनों में देश की सेवा की है। लेकिन अब ये जवान पेंशन संबंधी समस्याओं, चिकित्सा सुविधाओं की कमी, और ज़मीन विवादों में प्रशासनि...