सीवान, मार्च 11 -- ऑटोमेटिक मशीनरी से कम समय में ज्यादा कपड़े तैयार करके कंपनियां बाजारों में उतार रही हैं। इसके चलते सिलाई मशीन से कपड़े सिलनेवाले दर्जियों का कारोबार प्रभावित हो गया है। एक अनुमान के अनुसार, जिले में 5 हजार से ज्यादा सिलाई की दुकानें हैं। 25 हजार से अधिक पेशेवर इन दुकानों में काम कर रहे हैं। इनके परिवार को जोड़ा जाए तो लगभग एक से डेढ़ लाख लोगों की आजीविका सिलाई से चलती है। इन दुकानों पर काम करने वाले कारीगरों को वाजिब मेहनताना भी नहीं मिल पता है। मजबूरन कारीगरों को दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है। रघुनाथपुर बाजार में पुरुषों के लिए विभिन्न प्रकार के लिए कपड़े तैयार कर रहे दर्जियों ने बताया कि नए-नए फैशन के कपड़े बाजार में बड़े ब्रांड के आने से दर्जियों का काम अब न के बराबर रह गया है। रेडीमेड कपड़ों के बढ़ते चलने से गहराया संकट आज...
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