सीवान, फरवरी 24 -- भले ही मछली कारोबार और उत्पादन के मामले में राज्य भर में जिले का कोई विशेष स्थान न हो। लेकिन वार्षिक खपत 33.15 हजार मीट्रिक टन है। जबकि उत्पादन 12 हजार मीट्रिक टन है। वर्ष 2024-25 का मत्स्य उत्पादन का लक्ष्य 37.58 हजार मीट्रिक टन है। अर्थात खपत के हिसाब से मछली उत्पादन में कमी होना बता रहा है कि मत्स्यपालन के क्षेत्र में जिला आज तक कभी भी आत्मनिर्भर नहीं हुआ। मछली उत्पादन में कमी होने के कारण पश्चिम बंगाल व आंधप्रदेश से आने वाली मछलियों पर जिले को निर्भर होना पड़ रहा है। हालांकि, बर्फ में भेजी गई मछलियों के खाने से बीमारीयो और संक्रमण का खतरा जहां बना रहता है, वही नदी और तालाब जैसे ताजा, स्वादिष्ट और लोकल मछलियों के लिए दूसरे राज्यों पर भी निर्भर रहना पड़ रहा है। मछुआरों का कहना है कि सरकार द्वारा प्रयास किए जाए तो मछुआरो...