सीवान, अप्रैल 27 -- जिले के सभी क्षेत्रों व गांव में बांस की खेती तो होती ही है। बांस की बुआई इन दिनों अब किसान नहीं कर रहे हैं। दियारा और चंवरी इलाके में बांस उत्पादक किसानों को अगर सरकार अनुदान दे तो इसका उत्पादन और बढ़ाया जा सकता है। जिले में बांस उद्योग की स्थापना तो जरूरी है ही, बांस अनुसंधान केन्द्र की एक शाखा यहां भी जरूरी है। बांस अधारित उद्योग नहीं होने के कारण कम कीमत पर ही अपने बांस को बेचने की मजबूरी किसानों की बनी हुई है। नीलगाय, सुअर, बंदर के आतंक से भी किसान परेशान हैं। बांस की इनसे सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है। बांस के लिए सीवान की मिट्टी काफी उपयुक्त है। इसमें किसानों की अपार संभवनाएं भी है। सीवान जिले में आम अमरूद और केले के बाद बांस ही ऐसी है, जिसे बड़े पैमाने पर लगाया जाता है। जिले में हर साल 15 से 20 हजार बांस...