सीतापुर, मई 4 -- सीतापुर। जिले के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में झांकने पर ऐसी अनगिनत कहानियां मिल जाएंगी, जहां महिलाओं ने अपनी मेहनत और लगन से छोटे-छोटे उद्यम शुरू किए हैं। कोई घर पर पापड़ और अचार बनाती है, तो कोई बच्चों के कपड़े सिलकर बेचती है। किसी ने अपनी कला को पहचान देकर हस्तशिल्प का काम शुरू किया है, तो किसी ने पशुपालन को अपनी आय का जरिया बनाया है। इन महिलाओं का उद्देश्य न केवल दो वक्त की रोटी कमाना है, बल्कि अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देना और समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाना भी है। लेकिन इन सपनों की राह में कई कांटे बिखरे हुए हैं। सबसे बड़ी समस्या पूंजी की कमी है। अधिकांश महिलाओं के पास अपना व्यवसाय शुरू करने या उसे बढ़ाने के लिए पर्याप्त धन नहीं होता। बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करना उनके लिए एक जटिल प्रक्रिया साबि...