भागलपुर, सितम्बर 9 -- प्रस्तुति: प्रदीप कुमार चौधरी महिषी का नाम विद्वता के क्षेत्र में राष्ट्रीय ही नहीं, अंतर्राष्ट्रीय क्षितिज पर अंकित है। यही वह पावन भूमि है जहां 7वीं शताब्दी में विदुषी भारती ने अपने ज्ञान से जगतगुरु शंकराचार्य को शास्त्रार्थ में चुनौती दी थी। महिला शिक्षा का संदेश देने वाली इस धरती पर आज भी केवल एक प्रोजेक्ट बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय है, जिसकी स्थापना 1984-85 में हुई थी। विडंबना यह है कि करीब 400 छात्राओं के नामांकन के बावजूद विद्यालय में भवन और शिक्षकों की गंभीर कमी है। कई विषय शिक्षक के अभाव में बाधित हैं। साथ ही साफ पानी, खेल मैदान और अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव छात्राओं के अध्ययन और स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है। गौरवशाली इतिहास वाली महिषी आज इस विद्यालय की दुर्दशा से आहत है। महिषी की धरती सदियों स...