पूर्णिया, फरवरी 17 -- बाइक व गाड़ियों को ठीक कर रोड पर दौड़ाने वाले मैकेनिकों की जिंदगी ठहरी-सी है। उनके पास ना तो स्थायी दुकान है और ना ही प्रशिक्षण की पर्याप्त व्यवस्था है। प्रशिक्षण के अभाव में नई तकनीक से वाकिफ नहीं हैं। इस कारण नई बाइक ठीक करने में भी परेशानी होती है। मैकेनिकों का कहना है कि उन्हें नगर निगम सहित अन्य जगहों पर स्थायी दुकान आवंटित की जाए, तो व्यवसाय बढ़ेगा। 12से 14 घंटे सप्ताह के सातों दिन करते हैं काम पर आय मेहनत मुताबिक नहीं 05 हजार से अधिक मैकेनिक हैं सहरसा जिले में जिन पर निर्भर है उनका परिवार 01 सौ रुपये तो कभी उससे अधिक या कभी कुछ भी नहीं कमा पाते हैं दिन भर की मेहनत में शहर में हजारों मोटर मैकेनिकों का अपने व्यवसाय से ठीक से जीवन-यापन नहीं हो पा रहा है। हिन्दुस्तान से दर्द बयां करते मैकेनिकों ने कहा है कि शहर में क...