भागलपुर, दिसम्बर 24 -- प्रस्तुति : दिनेश कुमार चौधरी शादी-ब्याह, जन्मदिन, धार्मिक अनुष्ठान, राजनीतिक सभाएं, सांस्कृतिक आयोजन या कॉर्पोरेट इवेंट हर अवसर की यादें सहेजने की जिम्मेदारी फोटोग्राफर और कैमरामैन पर होती है। कैमरे की एक क्लिक किसी पल को इतिहास बना देती है, लेकिन विडंबना है कि वही फोटोग्राफर असुरक्षित भविष्य में जी रहा है। देश में स्वरोजगार और रोजगार सृजन की चर्चा तो होती है, पर फोटोग्राफी जैसे बड़े रोजगार क्षेत्र के लिए न कोई ठोस सरकारी नीति है, न सामाजिक या आर्थिक सुरक्षा। न स्किल डेवलपमेंट का समर्पित प्रशिक्षण, न बीमा और लोन की सुविधा। कैमरा थामे युवा जोखिम, अनियमित समय, क्लाइंट के दबाव और आर्थिक अस्थिरता के बीच मजबूरी में काम करते हैं। उनकी मेहनत हर आयोजन में दिखती है, पर संघर्ष अनदेखा रह जाता है। यह रिपोर्ट उन फोटोग्राफरों की...