भागलपुर, सितम्बर 27 -- प्रस्तुति: विजय झा गांव की चौपाल से न्याय दिलाने का सपना अभी अधूरा है। वर्ष 2006 में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के साथ ग्राम कचहरी की शुरुआत इस उद्देश्य से हुई थी कि ग्रामीणों को छोटे विवादों के लिए थाना और कोर्ट का चक्कर न लगाना पड़े। सरपंच और पंचों के जरिए गांव में ही सस्ता व सुलभ न्याय दिया जा सके। ग्राम कचहरी को शुरू में 10 हजार रुपये तक के विवाद सुलझाने का अधिकार मिला और 2023 में इसका कंप्यूटरीकरण भी हुआ, लेकिन डेढ़ दशक बाद भी यह पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है। न तो इसके पास पर्याप्त भवन हैं और न ही नोटिस भेजने की मजबूत व्यवस्था। महंगाई और विवादों की बदलती प्रकृति में 10 हजार रुपये तक की सुनवाई का अधिकार इसकी उपयोगिता कम कर देता है। बिहार सरकार ने वर्ष 2006 में पंचायती राज व्यवस्था को और मजबूती देने तथा ग्रामीण जनता ...
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