इटावा औरैया, फरवरी 16 -- क्षामित्र केवल पढ़ाने का ही काम नहीं करते बल्कि बच्चों को खेल में भी दक्ष कराते हैं। सहायक अध्यापकों के समान योग्यता रखते हैं उनके समान ही परिषदीय स्कूलों में बच्चों को शिक्षा देने का काम कर रहे हैं। इतना सब करने के बाद भी उचित मानदेय और सुविधाएं नसीब नहीं। स्कूल परिसर में करंट बरसाते तार फैले हैं। खतरा होने के बाद भी हमारी मांगें सुनने वाला कोई भी नहीं है। ये दर्द आपके अपने 'अखबार हिन्दुस्तान से शिक्षामित्रों ने व्यक्त किए। ममता रानी कहती हैं कि5-6 वर्ष पहले नियुक्त सहायक अध्यापकों को वेतन दिया जाता है जबकि 22 वर्षों से अधिक की कार्य व्यवस्था के बावजूद शिक्षामित्र महज 10 हजार रुपये के अल्प मानदेय पर काम कर रहे हैं। शिक्षकों को जहां पूरे 12 महीने का वेतन मिलता है वहीं शिक्षामित्र को केवल 11 माह का वेतन दिया जाता है...
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