लखीमपुरखीरी, मार्च 5 -- स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सक के साथ ही अहम कड़ी माने जाते हैं फार्मासिस्ट जो मरीजों को दवा देते हैं। इसके साथ ही उन पर कई अन्य कामों का भी बोझ है। रिक्त पदों पर भर्ती न होने से उनको अतिरिक्त ड्यूटी करनी पड़ती है। हाल यह है इमरजेंसी में 18 घंटे तक ड्यूटी करनी पड़ रही है। फार्मासिस्टों को शिकायत है कि छह से आठ घंटे डयूटी के बाद अतिरिक्त काम करने के कोई भी चार्ज नहीं दिया जाता है। कई योजनाओं का उनको लाभ नहीं मिलता। जबकि ग्रामीण इलाके के तमाम अस्पताल उनके ही जिम्मे चल रहे हैं। हिन्दुस्तान से बातचीत में फार्मासिस्टों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। सेहत के लिए जितना जरूरी चिकित्सकीय परामर्श है, उतना ही अहम है सही दवा मिलना। और मरीजों को सही दवा देने की जिम्मेदारी फार्मासिस्टों की है। मानव संसाधन की कमी से जूझ रहे स्वास्थ्य विभा...