लखीमपुरखीरी, फरवरी 26 -- वृद्धाश्रम में रह रहे बुजुर्गों से उनके अपनों ने ही दूरी बना ली है। घर-परिवार की बेरुखी से दुखी इन बुजुर्गों की सरकारी योजनाओं की मदद मिलने की आस भी कमजोर हो रही है। उनके सिर से छत जा चुकी है। अपनों का साथ भी नहीं है। वहीं दूसरी ओर, उनके हिस्से में पेंशन, राशन, आवास, आयुष्मान कार्ड जैसी योजनाएं नहीं हैं। ढलती जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर वह दूसरों के रहमोकरम पर जी रहे हैं। वृद्धाश्रम के बुजुर्गों ने हिन्दुस्तान से बातचीत करते हुए को अपना दर्द बताया। उम्र के इस पड़ाव पर जब उनकी झुकती कमर को अपनों के सहारे की लाठी की सबसे अधिक जरूरत थी, तब ही घर-परिवार ने उनका साथ छोड़ दिया। जिंदगी के आखिरी पड़ाव में अपने होते हुए भी वो बेसहारा हो गए। जहां जीवन के सभी सुख-दुख देखे, उसी आशियाने की छत छिन गई तो वृद्धाश्रम ही इन बुजुर्गों का न...