लखनऊ, मई 13 -- लखनऊ। सेवा, समर्पण व संवदेना यह तीनों एक नर्स की पहचान हैं। रोगियों की सेवा के साथ दोहरी जिम्मेदारी निभा रही हैं। दिन और रात रोगियों की देखभाल के साथ ही परिवार संभाल रही हैं। परिवार के साथ ही अस्पताल प्रशासन, रोगी और तीमारदार के बीच सामांजस्य बनाकर चलने वाली नर्सों की समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं हैं। 20 से 25 वर्ष से पदोन्नति नहीं हुई। गृह जिले में तैनाती, चिकित्सा संस्थानों के समान भत्ते, अस्पताल में पालना घर, अस्पताल में सुरक्षा समेत कई दिक्कतें हैं। नर्स इनके समाधान के लिये कई वर्ष से संघर्ष कर रही हैं। 1965 में अन्तरराष्ट्रीय नर्स दिवस की शुरूआत हुई। जनवरी 1974 में 12 मई की तारीख नर्स दिवस के लिये तय की गई। फ्लोरेंस नाइंटेगल के 12 मई के जन्मदिवस पर यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम-हमारी नर्सें, हमारा भविष्य है। 12...