रुद्रपुर, मार्च 9 -- विभिन्न कार्यालयों में कार्यरत उपनल कर्मचारी लंबे समय से मांगें नहीं माने जाने से आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि कार्यालयों में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। स्थायी कर्मचारियों के बराबर कार्य करने के बाद भी उनके वेतन में जमीन-आसमान का अंतर है। साथ ही नई नियुक्ति होने पर उपनल कर्मियों को अचानक हटाए जाने से भी उनमें नाराजगी है। बताया कि वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय ने उपनल कर्मियों के पक्ष में फैसला दिया था। वर्ष 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के आदेश को यथावत रखने का निर्देश दिया। इसके बावजूद उपनल कर्मियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। उनकी मांग है कि उनका मानदेय बढ़ाया जाए। भविष्य की सुरक्षा के लिए उन्हें हटाया नहीं जाए। सभी कर्मचारियों को जीवन बीमा का लाभ मिले। सैन्य बाहुल्य राज्य होने की वजह से सैनिकों के सेव...