रामपुर, फरवरी 26 -- शहर में वेंडिंग जोन बनने के बाद भी समान अवसर नहीं। हर रोज कुआं खोदकर हर रोज पानी पीते हैं रेहड़ी वाले। सवेरे घर से निकले लेकिन शाम की कमाई का पता नहीं। जी हां, हर शहर की तरह रामपुर में भी यही हाल है। शहर में यूं तो हजारों सब्जी और फलों के ठेले वाले हैं लेकिन, आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 28 सौ रेहड़ी-पटरी वाले हैं। इनमें सैंकड़ों ऐसे हैं जिन्हें अभी तक पीएम स्वनिधि गलियारे में दुकान तक नहीं मिल सकी है। जिसकी वजह से यह लोग सड़क किनारे अपने ठेले लगाकर गुजर बसर कर रहे हैं। बातचीत में टीलों वालों के दर्द छलक पड़े। शहर में जुबान के जायके का जिो तो रामपुर का नाम आना लाजिमी । देश में शायद स्ट्रीट फूड के चलन में आने से पहले से यहां खोमचों-ठेलों पर मसालों के तड़के और घी के के बाजार में कुछ कमी आई है। शहर में जगह जगह तेल में अदरक-मिर्चे की...
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