रामपुर, मार्च 9 -- तुझे कसम है खुदी को बहुत हलाक न कर, तू इस मशीन का पुर्जा है, तू मशीन नहीं...दुष्यंत कुमार की ये पंक्तियां रचना टेलर मास्टरों के हालातों पर सटीक बैठती हैं। ऑनलाइन शॉपिंग और रेडीमेड कपड़ों के बाजार में टेलर मास्टर ग्राहकों का इंतजार कर रहे हैं। आधुनिकता के दौर में सिलाई मशीन से बने कपड़े कम ही लोगों को पसंद आ रहे हैं। 10-12 साल पहले तक कैंचियों से कपड़ों को आकार देने और सिलाई मशीन से सिलने की कला का सम्मान था, आज वहां कम ही ग्राहक कपड़े सिलवाने आते हैं। दर्जी की दुकानें खाली पड़ी हैं। उन्होंने अपनी पीड़ा बयां की है। जिले के ज्वालानगर रोड, कृष्ण बिहार,सीआरपीएफ रोड,मिस्टन गंज,राजद्वारा रोड सहित कई स्थानों पर कपड़ा सिलाई का काम होता है। अधिकांश पुरुष और महिलाएं कपड़े सिलती हैं। शहर में इनकी बड़ी तादात है। महिला और पुरुषों के कपड़े सिल...