रामपुर, फरवरी 23 -- प्रतिदिन पेंट की दुकानों पर शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के मजदूर एकत्र होते हैं। इनमें से कुछ को तो काम मिल जाता है, लेकिन अधिकतर घर खाली हाथ लौट जाते हैं। भवन निर्माण, पुराने दफ्तरों, कार्यालयों पर काम करने के एवज में ठेकेदार से उन्हें 400 से 500 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती है, लेकिन यदि काम रुक जाए या पूरा हो जाता है तो ये मजदूर फिर बेरोजगार हो जाते हैं। ठंड में स्थिति यह है कि रंग-पेंट करने वाले ये मजदूर काम न मिलने के कारण रोजी-रोटी के संकट का सामना करते हैं। उन्होंने हिन्दुस्तान से अपना दर्द बयां किया है। ठंड में दिहाड़ी मजदूरों के साथ साथ रंग, पेंट करने वालों के सामने रोजगार का संकट है। उन्हें काम की तलाश में दर-दर भटकना पड़ रहा है। देहात क्षेत्र के लोग शहरों में मजदूरी करने पहुंचते हैं, लेकिन ठंड के कारण भवन निर्माण क...
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