रामपुर, फरवरी 26 -- राजकीय शिक्षक इस समय कई दिक्कतों से गुजर रहे हैं। लंबे समय से पदोन्नति की आस में बैठे इन शिक्षकों पर काम का दबाव बढ़ता ही जा रहा है। इन्हें शिक्षण कार्य के साथ कॉलेज से संबंधित काम भी निपटाने पड़ रहे हैं। इन कॉलेजों में लंबे समय से कर्मचारियों का टोटा है, इसके लिए कई बार मांग उठाई जा चुकी है लेकिन, इसकी अनदेखी कर दी गई। इस समय राजकीय शिक्षकों की समस्याएं इतनी हैं कि वे गिनाई नहीं जा सकती हैं। जिले में शिक्षकों, प्रधानाचार्य, प्रभारी, प्रधानाचार्यों-प्रधाध्यापकों की अलग-अलग समस्याएं हैं। किसी के पास स्टाफ नहीं हैं तो किसी के पास संसाधन। एडेड स्कूलों में कार्यवाहक प्रधानाचार्य भी प्रधानाचार्य का वेतनमान पाते हैं, लेकिन राजकीय विद्यालयों में ऐसा नहीं है। शिक्षकों ने हिन्दुस्तान के साथ अपनी समस्याएं साझा कीं। जिले में कुल 42...