रामगढ़, जुलाई 4 -- कुजू। रामगढ़ के कुजू की सांडी पंचायत में सदियों से मिट्टी को जीवन देने वाले कुम्हार समाज ने अपनी कला से न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा किया, बल्कि धार्मिक व सांस्कृतिक परंपराओं को भी जीवित रखा। लेकिन आधुनिकता की बयार और प्लास्टिक -मशीन से बने सस्ते उत्पादों ने इस पारंपरिक शिल्प को गुमनामी के कगार पर ला खड़ा किया है। महंगी मिट्टी, महंगे कच्चे माल और घटते बाजार ने यहां के कुम्हारों की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ कार्यक्रम में पंचायत के कुम्हारों ने अपनी पीड़ा साझा की और मदद की गुहार लगाई। मिट्टी से जीवन को आकार देने वाले कुम्हारों की दुनिया आज संघर्षों से घिरी हुई है। कभी गांव-गांव में पूजा, पर्व और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए सबसे अहम माने जाने वाले ये कारीगर आज अपनी पहचान और परंपरा को बचाने के लिए जू...