रामगढ़, मार्च 12 -- बरकाकाना । जाकिर हुसैन 'सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं... लाल जैकेट में कुलियों को देखने के बाद सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की फिल्म 'कुली का यह गीत अनायास ही दिमाग में तैरने लगता है। सबका बोझ ढोने वाले कुली दुश्वारियों के बोझ तले दबे हैं। कहने को ये केंद्रीय रूप से प्रशिक्षित और लाइसेंसधारक होते हैं। पहचान के लिए इन्हें बैच नंबर आवंटित रहता है। लेकिन न वेतन मिलता है और न मानदेय। रहने-खाने की सुविधाएं भी नसीब नहीं। थक-हार कर आराम करना चाहें तो उसके लिए भी कोई जगह निर्धारित नहीं है। अब तो न वर्दी मिल रही और न ही पारिवारिक-आर्थिक सुरक्षा। रेलवे स्टेशनों पर कुलियों की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है। लेकिन समय के साथ उनके संघर्ष और मुश्किलें बढ़ती जा रही है। बरकाकाना जंक्शन पर कुलियों की स्थिति इसका जीवंत उदाहरण है। एक समय थ...