नई दिल्ली, फरवरी 17 -- रामगढ़, निज प्रतिनिधि । शादी-विवाह, अन्नप्राशन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य हों या श्राद्ध, तर्पण या पिंडदान आदि कर्मकांड, बगैर धार्मिक अनुष्ठान के पूर्ण नहीं होते। किंतु सामाजिक सुरक्षा के अभाव व शासन स्तर पर मानदेय अथवा कोई भी आर्थिक लाभ नहीं मिलने से खुद के साथ परिवार के भविष्य की चिंता की वजह से धीरे-धीरे पूजा-पाठ के पुश्तैनी पेशा वाले भीे पुरोहित के कार्य से विमुख होने लगे हैं। निश्चित मानदेय नहीं होने से पुजारी व पुरोहित सदैव खुद के साथ अपने परिजनों के भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। साथ ही सामाजिक स्तर पर भी लगातार मिल रही उपेक्षा के कारण उनका अपने पुश्तैनी पेशे से भी मोहभंग होता जा रहा है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ कार्यक्रम के तहत जिले के विभिन्न देव स्थलों में पूजन कार्य संपन्न कराने वाले पुजारियों ने कार्...
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