रांची, मार्च 18 -- रांची, संवाददाता। राजधानी में विश्वकर्मा समाज से जुड़े काष्ठ शिल्पकार (बढ़ई समाज ) की बड़ी संख्या रहती है। इस समाज के अधिकांश लोग आर्थिक विपन्नता और बेरोजगारी में जी रहे हैं। समाज के अंदर अशिक्षा और गरीबी के कारण युवाओं में रोजगार की कमी है। समाज के अधिकांश युवा बेरोजगार हैं। कुछ युवाओं के पास अलग रोजगार हैं। पूंजी के अभाव में वह अपने पुरखे के पेशे को आगे नहीं बढ़ा पा रहे हैं। अधिकांश गरीब परिवार के युवा अब इस पेशे को अपनाना नहीं चाहते और वह दूसरा धंधा करना चाहते हैं। बढ़ई समाज के सामने इस आधुनिक जमाने में भी एक नहीं बल्कि कई समस्याएं हैं। उनकी समस्याएं ऐसी हैं, जिनका समाधान नहीं हो रहा। बढ़ई समाज का पारंपरिक व्यवसाय घोर मंदी का शिकार है। यहां पहले की तुलना में मिलने वाले ऑर्डर (मांग) काफी कम हो गए हैं। हिन्दुस्तान के बोले रा...