मैनपुरी, नवम्बर 19 -- जनपद की भोगांव तहसील में आम लोगों की लड़ाई लड़ने वाले अधिवक्ता स्वयं ऐसी तकलीफ़ों से गुजर रहे हैं, जिन्हें देखकर व्यवस्था की संवेदनहीनता साफ़ झलकती है। न्याय का सहारा बनने वाले ये वकील रोज़ सुबह उम्मीद लेकर अदालत पहुंचते हैं, लेकिन उनका दिन खुले आसमान के नीचे जगह खोजने, टूटी बेंचों पर बैठने और बदहाल परिसर में सांस लेने की मजबूरी से शुरू होता है। चैंबरों की कमी ने काम को सिर पर धूप, बारिश और धूल-हवा के हवाले कर दिया है। शौचालयों की टूटी सीढ़ियां, गंदगी की बदबू, पानी के लिए भटकते अधिवक्ता, खराब पड़े वाटर कूलर और सुरक्षा व्यवस्था की पूरी उपेक्षा-ये सब मिलकर उस दर्द को और बढ़ा देते हैं, जिसे वे वर्षों से चुपचाप ढो रहे हैं। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी संवाद में वकीलों ने बताया कि सबसे दुखद यह है कि जिन अधिवक्ताओं की दलीलों पर लो...
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