मैनपुरी, फरवरी 20 -- दो वक्त की रोटी के लिए हाड़तोड़ मेहनत करने वाले मजदूरों और पल्लेदारों की मेहनत अगर आपने नजदीक से देखी है तो निश्चित रूप से आपके मन में भी इस मेहनत के लिए दिल से दर्द उठेगा। गर्मी हो या सर्दी या फिर बरसात, पल्ल्लेदारों के एक बड़े समूह के बिना लोडिंग, अनलोडिंग का काम संभव नहीं है। ये समूह दिन-रात मेहनत करने के बाद भी पर्याप्त गुजर बसर करने लायक ही कमा पाता है। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी के तहत संवाद के दौरान इस वर्ग ने दिल खोलकर बात की। कहा कि मेहनत करने में हम पीछे नहीं हैं, लेकिन उस मेहनत का वाजिब मेहनताना हमें मिलना चाहिए, जो फिलहाल हमें मिल नहीं रहा है। मंडियों में विभिन्न वस्तुओं की लोडिंग-अनलोडिंग करते हुए पल्लेदारों की अपनी अलग कहानी है। इनके लिए मनरेगा जैसी फिक्स मजदूरी नहीं है। बल्कि यह शरीर की हड्डियों पर लोड डा...