मेरठ, मई 5 -- मेरठ। दिहाड़ी मजदूरों का जीवन हमारे समाज का वह हिस्सा है, जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है। उनकी मेहनत से सड़कें बनती हैं, इमारतें खड़ी होती हैं, खेतों में फसल लहलहाती है, और कारखाने चलते हैं। लेकिन इनके जीवन की सच्चाई बेहद कड़वी और दिल को छू लेने वाली होती है। ये लोग एक ऐसी ज़िंदगी जीते हैं, जहां हर दिन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। आशा और निराशा के बीच जूझती मजदूरों की जिंदगी को एक सहारे की जरूरत है, जो इनकी जिंदगी में खुशियां ला सके। हर सुबह दिहाड़ी मजदूर किसी चौराहे, सड़क किनारे, या निर्माण स्थलों पर इकट्ठा होते हैं। उनके चेहरे पर एक अनकही दास्तान होती है। हर कोई उम्मीद करता है कि आज काम मिलेगा और घर का चूल्हा जलेगा। लेकिन कभी-कभी उनकी मेहनत और इंतजार व्यर्थ चला जाता है। काम न मिलने पर खाली पेट घर लौटने का दर्द केवल...