मेरठ, अप्रैल 16 -- मेरठ। भारत की धरती पर चिकित्सा विज्ञान सिर्फ एलोपैथी तक सीमित नहीं रहा है। यहां की मिट्टी में आयुर्वेद और यूनानी जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां रची-बसी हैं। इन दोनों पद्धतियों ने न जाने कितनी पीढ़ियों को रोगमुक्त किया, लेकिन आज इन चिकित्सा प्रणाली से जुड़े डॉक्टरों को न तो वो मान-सम्मान और न ही सुविधाएं मिल पा रही हैं, जिसके वह हकदार हैं। आयुर्वेद और यूनानी प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर आज अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। वह सुविधाओं की डोज चाहते हैं। आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टरों के ज्ञान और क्षमता को गंभीरता से नहीं लिया जाता। अधिकांश सरकारी अस्पतालों में आयुर्वेद या यूनानी चिकित्सकों के लिए पर्याप्त पद भी नहीं हैं और न ही स्थायी नियुक्तियां। कई जगह इन डॉक्टरों को सिर्फ सीमित दवाइयां देने की अनुमति होती है। उन्हें न तो बराबर...