मेरठ, अगस्त 8 -- मेरठ। सुबह के छह बजते ही जब शहर की अधिकांश महिलाएं रसोई की ओर रुख करती हैं या बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करती हैं, उस वक्त मेरठ नगर निगम की सैकड़ों महिलाएं झाड़ू और कचरे की गाड़ी लेकर निकल पड़ती हैं। शहर को साफ-सुथरा रखने के अपने फर्ज को निभाने के लिए। ये महिलाएं वो हैं, जो न तो सरकारी कर्मचारी हैं, न ही उन्हें पेंशन या सुरक्षा की गारंटी है, ये ठेकेदारी व्यवस्था के अधीन काम करती हैं। जो खुद के परिवार की खातिर व्यवस्था में बदलाव चाहती हैं, अपने आप को विभाग में पक्का चाहती हैं। मेरठ के 90 वार्डों में कार्यरत 500 से भी ज्यादा महिला सफाईकर्मी ठेके पर काम कर रही हैं। सुबह 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक का समय उनका नगर निगम के लिए होता है, और उसके बाद का समय अपने घर-परिवार के लिए। कई महिलाएं ऐसी हैं, जिनके पति अब इस दुनिया में नहीं ...