मेरठ, मार्च 15 -- मेरठ। रंगों का त्योहार होली, हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत का एक अमूल्य हिस्सा है। यह त्योहार हमें एकता, प्रेम और खुशियों से सराबोर कर देता है लेकिन कई बार होली के रंगों में छिपी समस्याएं लोगों को दर्द दे जाती हैं, बाजार में बिकने वाले कुछ रंग हानिकारक रसायनों से भरे होते हैं। यही रंग लोगों को होली की मस्ती से दूर कर देते हैं। जो चाहकर भी रंगों के साथ होली नहीं खेल पाते। जिन्हें होली का त्योहार सबसे अच्छा लगता था, आज वो होली के रंगों से बचते नजर आते हैं। ऐसे ही लोगों से बोले मेरठ ने बातचीत कर उनकी समस्याओं को जानने की कोशिश की। होली के पारंपरिक रंग प्राकृतिक थे, केसर, हल्दी, नीम और बिल्व के पत्तों से बनाए जाते थे। आज के समय में, बाजार में बिकने वाले सस्ते रंग हानिकारक रसायनों से बनते हैं। इन रासायनिक रंगों में लेड ऑक्सा...