मुरादाबाद, मार्च 11 -- परिषदीय व कस्तूरबा विद्यालयों में काम कर रहीं रसोइयों की स्थिति ठीक नहीं है। घंटों तक मेहनत कर खाना बनाने वाली इन रसोइयों की स्थिति सुदृढ़ करने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। मात्र दो हजार रुपये में परिवार का खर्च चलाने वाली इन रसोइयों को मानदेय भी कभी समय से मिल पाता है और कभी नहीं। रोजाना घंटों तक मेहनत करके इन रसोइयों को बड़ी संख्या में बच्चों के लिए खाना बनाना होता है। सुबह नौ बजे से करीब दो बजे तक उनका पूरा समय खाने की तैयारी से लेकर खाना बनाने तक में चला जाता है। उनका मानना है कि सरकार के पास उनके बारे में सोचने का वक्त ही नहीं है। इस कारण उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। सरकार को उनके मानदेय को बढ़ाने, समय से वेतन देने और उनको सरकारी कर्मचारियों की तरह सुविधाएं देनी चाहिए। मानदेय नही...