मुरादाबाद, फरवरी 23 -- वे ठेले खींच कर दिन भर दो वक्त की रोजी रोटी का जुगाड़ करते हैं। कई बार पूरी दिहाड़ी नहीं हो पाती। कभी नगर निगम वाले दौड़ाते हैं तो कभी पुलिस वाले। कोई वीआईपी आ गया तो ठेले वालों की शामत आ जाती। इन्हें सड़क पर लगा दिया जाता है। आर्थिक तंगी से जूझने वाले ठेले खोमचे वाले कई ऐसे हैं जिनका काफी बड़ा परिवार है। उनकी पीड़ा यह है कि उन्हें या तो क्षेत्रवार ऐसे स्थान मिल जाएं जहां कोई तंग न करे। ठेले भी जर्जर हैं अगर नए ठेले मिल जाएं और व्यवस्था नगर निगम की ओर से करवा दी जाए तो परेशानी कम होगी। रेहड़ी पटरी का काम करने वाले मुरादाबाद शहर में हजारों लोग हैं। दिनभर में जाने कितनी गलियों का रास्ता नापने के बाद रेहड़ी वालों की कमाई होती है। कोई परिवार की मजबूरी तो कोई आर्थिक तंगी से तो परेशान होता ही है। ऊपर से नगर निगम और पुलिस प्रशासन ...