मुजफ्फर नगर, मार्च 12 -- हाथ की कारीगरी से मिट्टी को आकार और जीवंत रूप देने वाले कुम्हार हाशिये पर हैं। जिले में चार हजार के करीब ऐसे परिवार हैं, जो मिट्टी के हुनर से रोजी-रोटी चलाते हैं। देवी-देवताओं की मूर्तियों से लेकर कलश-दीपक और बर्तन बनाने वाले कुम्हार तीज-त्योहारों को छोड़कर अन्य दिनों रोजी-रोटी चलाने में कठिनाइयों का सामना करते आ रहे हैं। चाक पर अपनी कला और हुनर से मिट्टी में भी जान फूंकने की उनकी कारीगरी सिमटकर रह गई है। वर्तमान समय में कुम्हार समाज अपना अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहा है। कारोबार में सरकारी मदद न मिलने से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के साथ ही धातु-प्लास्टिक के सामान के अधिक उपयोग ने इनके कारोबार को सीमित कर दिया है। हिन्दुस्तान से बातचीत में कुम्हारों ने अपनी समस्याओं क...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.