भागलपुर, अप्रैल 11 -- आधुनिकता की तेज रफ्तार और बदलते सामाजिक परिवेश में मुंगेर के परंपरागत मूर्तिकारों का व्यवसाय आज संकट के दौर से गुजर रहा है। कभी समाज में विशेष स्थान रखने वाले लगभग 200 से अधिक मूर्तिकार आज मिट्टी की अनुपलब्धता, लागत में बढ़ोतरी, स्थायी बाजार की कमी और सरकारी उपेक्षा के कारण अपने पुश्तैनी पेशे को छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। इनकी समस्याओं को जानने के लिए हिन्दुस्तान ने इनके साथ संवाद किया। उन्होंने खुलकर अपनी समस्याएं बताईं। 50 हजार आबादी है कुम्हार समुदाय की जिले में 02 सौ मूर्तिकार मिट्टी की मूर्ति का करते हैं निर्माण 02 हजार रुपए प्रति ट्रैक्टर आती है मिट्टी की लागत मुंगेर की प्रसिद्ध मूर्ति निर्माण परंपरा आज सरकारी सहयोग के अभाव में दम तोड़ रही है। महंगी मिट्टी, पूंजी की कमी और मंडी के अभाव में मूर्तिकारों की हालत ब...
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