मिर्जापुर, फरवरी 23 -- धूप में तपे माथ, अनुशासन की लौ से प्रज्ज्वलित आंखें और सेवा की अखंड प्रतिज्ञा- ये हैं प्रांतीय रक्षक दल (पीआरडी) के जवान। ये जवान कानून-व्यवस्था के प्रहरी हैं परंतु इन्हें उपेक्षा और नेतृत्व का अभाव खलता है। वे पुलिस और होमगार्ड के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं, लेकिन उचित वेतन और प्रशिक्षण की सुविधा नहीं मिलती। कार्यालय में बैठने के लिए उचित स्थान नहीं है। वे नियमित ड्यूटी के साथ समय से वेतन-भत्ते का भुगतान चाहते हैं ताकि अपने परिवार के साथ बेहतर जीवन गुजार सकें। जिले में 476 पीआरडी जवान सेवा के पथ पर अडिग हैं, लेकिन उन्हें अफसोस है कि उनका कोई सक्षम नेतृत्व नहीं है। उनका तर्क है कि वर्दी वालों की समस्याओं को एक वर्दीधारी अधिकारी ही बेहतर ढंग से समझ सकता है। पुलिस लाइन स्थित यातायात शाखा में 'हिन्दुस्तान से ...