मिर्जापुर, मार्च 26 -- हर सेकेंड कीमती होती है, हर सांस मायने रखती है और इन्हीं पलों में आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियन (ईएमटी) मौत और जिंदगी के बीच जंग लड़ते हैं। सायरन की आवाज के साथ दौड़ती एम्बुलेंस में उनका सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि सेवा का जुनून है। थकान से लड़ते हुए, जोखिम के बावजूद वे सेवाभाव से डटे रहते हैं। मरीज लेकर आने वाले एम्बुलेंस कर्मियों के लिए अस्पताल में बैठने तक की व्यवस्था नहीं है। गर्मी के दिनों में पीने के लिए ठण्डा पानी भी नहीं मिल पाता है। वे चाहते हैं- उतनी ही अहमियत दें जितनी हम मरीजों को देते हैं। नगर के महिला अस्पताल में जुटे आपातकालीन चिकित्सा तकनीशियनों ने 'हिन्दुस्तान' से चर्चा के दौरान अपनी पीड़ा बताई। कविता प्रभाकर बोलीं- हमें कोरोना महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर कहा गया था। प्रशासन से लेकर सरकार ने महामारी स...