मिर्जापुर, अक्टूबर 5 -- शहर के ऐतिहासिक घंटाघर के पास झावांगढ़ मोहल्ला बसा है। नाम में 'गढ़ और पहचान में 'कारीगरी, यही मोहल्ले की ताकत रही है। शहर के बीच स्थित इस मोहल्ले के हर घर तक विकास की रोशनी नहीं पहुंची है। नाली सफाई, निर्बाध बिजली आपूर्ति और सरकारी योजनाओं का लाभ कोसों दूर दिखते हैं। जलजमाव के चलते बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। शहरी होते हुए भी बुनियादी सुविधाओं की कमी नागरिकों को बहुत अखरती है। उन्हें जिम्मेदारों से प्रभावी पहल की अपेक्षा है, ताकि जिंदगी में उजाला फैल सके। वे सुविधा को तरस रहे हैं। चाहते हैं कि प्रशासन समय रहते कदम उठाए जिससे बुनियादी सुविधाएं सुलभ हो सकें। झावांगढ़... नाम सुनते ही लगता है मानो किसी किले या परकोटे की बात हो, मगर इसकी वास्तविक पहचान 'कारीगरी में छिपी है। कभी यहां कसेरा समाज के कारीगरों ...