मिर्जापुर, जून 29 -- गंगा सिर्फ जलधारा नहीं, जीवन हैं। युगों से वह जीवनदायिनी हैं, आस्था और रोजगार भी हैं। मगर न जाने क्यों इधर हाल के वर्षों में वह मिर्जापुर से कुपित हैं। उनकी धारा शहरी क्षेत्र के घाटों को एक-एक कर जल में विलीन करती जा रही है। विंध्याचल से चुनार तक गंगा कटान का दर्द बढ़ता रहा है। खेत-खलिहान, बाग-बगीचों संग असंख्य परिवारों की आजीविका पर छाये संकट के बादल घने होते जा रहे हैं। कटान रोकने संबंधी उपायों से नाखुश पीड़ितों की सामूहिक गुहार है-गंगा के कोप से बचा लें सरकार। गोमुख से गंगासागर तक गंगा के लगभग 26 सौ किमी के लंबे प्रवाहपथ का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है मिर्जापुर। दूसरे तटवर्ती नगरों-शहरों की तरह गंगा ने यहां के भी लोकजीवन, लोक संस्कृति को समृद्ध और जीवंत किया है। उस जीवंतता के प्रतीक रहे हैं गंगा किनारे बने घाट। किसान, न...