मिर्जापुर, सितम्बर 9 -- हमने अपनी जवानी देश की सुरक्षा में खपा दी, अब क्या हमारे अपने ही अधिकार सुरक्षित नहीं रहेंगे-यह सवाल अक्सर पूर्व सैनिकों के दिल में उठता है। सैनिक कैंटीन 2020 से बंद है, स्वास्थ्य सुविधाएं दूर हैं। हेल्प डेस्क नहीं, जहां वे अपनी समस्याएं रख सकें। प्रशासनिक दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। जमीन के विवाद, लाइसेंस नवीनीकरण और थाना-चौकियों पर अपमानजनक व्यवहार उनके हौसले को झकझोरता है। सम्मान, सुरक्षा की उम्मीद लिए रिटायर हुए ये वीरअपने ही जिले में संघर्ष कर रहे हैं। इससे उनका हौसला पस्त हो रहा है। देश की रक्षा में जीवन का बड़ा हिस्सा बिताने वाले पूर्व सैनिकों की रिटायरमेंट के बाद समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं। सैनिक जब रिटायर होकर अपने गांव-शहर लौटते हैं, तब उन्हें लगता है कि अब चैन की जिंदगी मिलेगी, लेकिन उन्हें दफ्तरो...