मिर्जापुर, अगस्त 26 -- इसे डालर कमाने वाला मोहल्ला कहा जाता है। गलत भी नहीं है। कभी घर-घर कालीन की बिनाई होती थी। अब धंधा मंदा होने से माहौल बदल गया है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। कालीन व्यवसायी और बुनकर जलजमाव और गंदगी के बीच रहने को विवश हैं। संक्रामक रोग फैलने की आशंका सिर उठा रही है। जलकल कार्यालय निकट होने के बाद भी पेयजल संकट है। जरूरतमंद आयुष्मान कार्ड, पेंशन से वंचित हैं। इलाज के लिए कर्ज लेने की नौबत है। नगरपालिका के अफसर झांकने भी नहीं आते। इमलहा नाथ मंदिर मोहल्ला शहर का सबसे प्राचीन मोहल्ला है। यहां मिश्रित आबादी के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियां खूब होती हैं। लोग एक-दूसरे के त्योहार और धार्मिक आयोजनों का सम्मान करते है। इस मोहल्ले में कभी तनाव जैसी स्थिति नहीं दिखी। लालडिग्गी वार्ड का यह मोहल...