मिर्जापुर, सितम्बर 15 -- पुरानी दशमी रामलीला के नाम से मोहल्ले का नामकरण हो गया। कभी नगर की शान और गौरव कही जाने वाली यह लीला संसाधनों की कमी, तकनीकी प्रतिस्पर्धा, वित्तीय तंगी और प्रशासनिक उपेक्षा जैसी चुनौतियों से जूझ रही है। रामलीला के ऐतिहासिक मंच, रामटेक की छत जर्जर हो गई है। सड़कों पर बिखरी गिट्टी, बिजली और पानी की गंभीर समस्या है। युवा सोशल मीडिया में उलझे हैं। रामलीला के पात्र कम हो रहे हैं। प्रशासन सिर्फ औपचारिकताएं निभा रहा है। इस पुरानी रामलीला के संरक्षण और मदद की जरूरत है। रामलीला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि लोकजीवन, कला-संस्कृति और सामुदायिक सहभागिता की अद्भुत मिसाल भी है। नगर की पुरानी दशमी रामलीला भी गौरवशाली विरासत, सैकड़ों वर्षों की परंपरा और भव्य आयोजन के लिए जानी जाती रही है। यह सदियों से भक्ति, संस्कृति औ...