मिर्जापुर, जुलाई 8 -- नगर के टटहाई मोहल्ले का नाम सुनने से अंदाज नहीं होता कि यह नाम जूट के टाट उद्योग से जुड़ा रहा है। टाट कभी मेहनतकश बुनकरी का प्रतीक था। आज वह मोहल्ला बुनियादी सुविधाओं के अभाव से त्रस्त है। यहां के निवासियों को सूझ ही नहीं रहा है कि वे किससे शिकायत करें, किससे गुहार लगाएं, ताकि समस्याओं का उचित समाधान मिले। टूटी सड़क, जाम, अतिक्रमण, धूल-कीचड़ और बिजली के लटकते तार आदि समस्याओं से मोहल्ला जूझ रहा है। लोगों के जीवन से उत्साह गुम हो चला है। टटहाई मोहल्ला जितना ऐतिहासिक है, वर्तमान में उतना ही उपेक्षित और समस्याग्रस्त हो चुका है। पुराने लोग बताते हैं कि कभी इस मोहल्ले में घर-घर जूट की टाट पट्टी की बुनाई होती थी। मेहनतकश बुनकरों के कारण ख्याति दूर-दूर तक थी। टटहाई नाम का उद्गम भी 'टाट से हुआ है। टाट मोटा, सस्ता और टिकाऊ हो...
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