मिर्जापुर, जून 3 -- शौक और जुनून के रूप में बैडमिंटन शहर में लोकप्रिय होता जा रहा है। शौक उनके लिए जो सेहत के बाबत फिक्रमंद रहते हैं, जबकि जुनून उन किशोरों-युवाओं में दिखता है, जिनकी आंखों में जिला और सूबे से होते हुए राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक बतौर खिलाड़ी उड़ान भरने का सपना होता है। इन दोनों को बेहतर इंतजाम की दरकार है। स्टेडियम में सुविधाएं तो हैं मगर उसकी दूरी अखरती है। वहां भी इंडोर गेम के लिए प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। लिहाजा, शाम होते ही प्रैक्टिस बंद करनी पड़ती है। सुबह की धुंध छंटने से पहले ही गलियों में रैकेट चलने लगते हैं। बैडमिंटन के शौकीन मोहल्ले की गली, खाली जमीन या पार्क को कोर्ट बना लेते हैं। इनमें युवा भी होते हैं। सूरज चढ़ने तक सभी के चेहरे पसीने से भीग जाते हैं लेकिन युवा आंखों में हसरत रहती है इंडिया के लिए खेलन...