मिर्जापुर, अगस्त 3 -- विंध्याचल मंडल के आयुक्त न्यायालय तक पहुंचना वकीलों के लिए मुकदमा जीतने जैसा है। उनकी राह कांटों भरी है। कमिश्नरी कैंपस में न पर्याप्त जगह न पार्किंग में छांव, दस्तावेज रखने की सुविधा भी नहीं। हाथ में फाइलें, सिर पर धूप और मन में गुस्सा- फिर भी रोज लड़ते हैं अपने मुवक्किलों की लड़ाई। सुरक्षा अभाव के बीच सूचना बोर्ड भी नहीं है। जाम ऐसा कि अधिवक्ता सुबह 10 बजे की पेशी के लिए घर से 9 बजे निकलते हैं। हर दिन सिस्टम की सुस्ती से उनकी जिरह होती है। नामांतरण, वरासत, बंटवारा, पैमाइश जैसे मामलों में फैसला देने वाले राजस्व अधिकारी और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले वकील अपने कार्यस्थल की हालत के आगे बेबस हैं। विंध्याचल कमिश्नरी न्यायालय में कार्यरत करीब 150 अधिवक्ताओं की हालत उन पीड़ितों जैसी है, जो अपने मामलों में न्...
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