मिर्जापुर, मई 31 -- नगर का पानदरीबा बाजार पान के साथ जर्दा, सुपाड़ी और कत्था मंडी के तौर पर मशहूर रहा है। सभी के कारोबारी यहां जुटते थे। शादी-ब्याह आदि आयोजनों के समय लोग इसी बाजार को चुनते थे। पान का धंधा मंदा होने पर मंडी से जर्दा, सुपाड़ी और कत्थे का व्यापार भी सिमट गया है। इस धंधे से जुड़े कुछ व्यापारियों ने दूसरा व्यवसाय अपना लिया है। अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे कारोबारी चाहते हैं कि उन्हें कुटीर उद्योग का दर्जा मिले। सरकारी मदद इस परंपरागत कारोबार के लिए संजीवनी साबित होगी। पानदरीबा मोहल्ला अपने नाम से पान और उसके लिए उपयोगी जर्दा, सुपाड़ी और कत्था व्यापार की समृद्ध विरासत का संकेत देता है, लेकिन आज न सिर्फ जर्दा की सुगंध फीकी हो गई है, बल्कि यहां की जिंदगी भी बदरंग हो चली है। कभी पान के साथ जर्दा, सुपाड़ी और कत्था का करोड़ों रुपये मे...
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