मथुरा, अगस्त 12 -- गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक रही ब्रजभूमि में ठाकुरजी की पोशाक के कारोबार की दुनियाभर में धाक है। खासकर, राधाकृष्ण और लड्डू गोपाल की पोशाकों पर कारीगरी का हुनर ब्रज के मुस्लिम कारीगर शुरू से दिखाते आए हैं। पोशाक की कारीगरी का काम उनकी रोजी-रोटी का प्रमुख साधन तो है ही, साथ ही इससे उनकी भावनाएं भी जुड़ी हैं। यह काम हिन्दू कारीगर भी करते हैं। वहीं मुस्लिम कारीगर पीढ़ियों से इस काम को करते आ रहे हैं। उनकी तैयार की गई पोशाक और मुकुट को जब ठाकुरजी धारण करते हैं तो वे लोग देखकर ही धन्य हो जाते हैं।वृंदावन में जन्माष्टमी का दृश्य साफ बताता है कि आस्था की कोई जाति, पंथ या मजहब नहीं होता। ठाकुरजी की पोशाक सेवा में जुड़े मुस्लिम समुदाय के कारीगर न केवल एक परंपरा को जीवित रखे हुए हैं, बल्कि समाज को यह संदेश भी दे रहे हैं कि प्रेम और भा...