मथुरा, सितम्बर 24 -- शिक्षिकाएं आज न केवल बच्चों को पाठ्यक्रम पढ़ा रही हैं, बल्कि संस्कारों, नैतिक मूल्यों और आत्मनिर्भरता की शिक्षा देकर उन्हें जीवन के हर मोर्चे के लिए तैयार कर रही हैं। वे स्कूल और कॉलेजों में ज्ञान की मशाल जलाने के साथ-साथ अपने घर-परिवार की जिम्मेदारियों को भी बखूबी निभा रही हैं। समाज में आज कई ऐसी महिलाएं सामने आई हैं, जो पहले स्वयं अशिक्षा के अंधकार में थीं, लेकिन अब न केवल शिक्षित हुई हैं, बल्कि अन्य बेटियों और महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत भी बनी हैं। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि अगर इच्छाशक्ति हो, तो कोई भी बाधा स्त्री को उसके लक्ष्य से नहीं रोक सकती। आज की शिक्षिका एक आदर्श, एक मार्गदर्शक और एक समाज शिल्पी है। वर्तमान परिवेश में यदि उन्हें 'देवी या 'शक्ति स्वरूपा कहा जाए तो यह कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे अपने ...