प्रतापगढ़ - कुंडा, मई 3 -- करीब आठ साल पहले निराश्रित मवेशियों से किसानों की फसल बचाने के लिए सरकार ने गांव-गांव गोशाला बनवाया लेकिन उसका कोई लाभ नहीं हुआ। खेत में फसल उगने के साथ काटने तक किसान रखवाली करते रहे। अब गेहूं की फसल कटने के बाद ज्यादातर खेत खाली हैं। सैकड़ों की संख्या में निराश्रित मवेशी गांव, सड़क पर भटक रहे हैं। जिले की गोशालाओं में संरक्षित निराश्रित मवेशी गर्मी में परेशान हैं। हरा चारा नहीं मिल पा रहा है। खुले आसमान के नीचे बनी टंकी का उबलता पानी पीना पड़ रहा है। टिनशेड की उपलब्धता के बावजूद कमजोर मवेशी धूप में पड़े हैं। कइयों की धूप, सर्दी से मौत भी हो जाती है। आम लोगों का मानना है कि निराश्रित मवेशियों को संरक्षित करने के लिए सरकार की ओर से गोशाला स्थापित करने का कदम बेहतर था लेकिन इसके संचालन की खामियां दूर न किए जाने से...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.