प्रतापगढ़ - कुंडा, मार्च 20 -- हमारा इतिहास हमारे पुरखों के धरोहर है। इसके लिए हमारे पुरखों ने कठिन परिश्रम किया है। यदि हम उनकी धरोहर को सहेजते हैं तो हम अपने इतिहास से परिचित होते हैं। उसे संरक्षित करना हमारा धर्म और कर्तव्य दोनों है। प्रतापगढ़ का इतिहास पाषाण काल से आजादी के आंदोलन तक गौरवशाली रहा है। हालांकि इसे संजोने का अपेक्षित प्रयास नहीं हो सका। यही कारण रहा कि हम अपनी गौरवशाली धरोहरों को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने में नाकाम रहे। हमें विरासत से जुड़ी स्मृतियों को अक्षुण्ण रखना, नई पीढ़ी को अतीत की धरोहरों से परिचित कराना हमारा दायित्व है। इतिहास धनुष की प्रत्यंचा के समान होता है। प्रत्यंचा जितनी पीछे खींची जाती है तीर उतना आगे जाकर गिरता है। हम अपना इतिहास देखकर उसके आधार पर भविष्य करते हैं। संविधान में विरासत संरक्षित करन...